Best Vedic Astrologer in India, Dr. Munish Sharma firmly believes in “karma”. He Says, our present life is directly influenced by our own actions in the past and the problems that yet to come in our life can be avoided by putting positive effort in our present actions. Dr. Munish Sharma always encourages his clients

मकर संक्रांति पर्व 2021 तिथि, शुभ मुहूर्त, जानिए इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व क्यों हैं मकर संक्रांति 2021 तिथि, शुभ मुहूर्त14 जनवरी, गुरुवार पुण्य काल मुहूर्त : – सुबह 08:03:07 से दोपहर 12:30:00 तक महा पुण्य काल मुहूर्त : 08:03:07 से 08:27:07 तक संक्रांति स्नान : प्रात:काल (14 जनवरी 2021) सामान्यत: प्रति वर्ष मकर

बुध का वृश्चिक राशि में गोचर 28 नवंबर, 2020 : जानिये आप पर प्रभाव बुध ग्रह वाणी का कारक होता है, इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति बुद्धिमान बनता है। बुध तर्कशक्ति का कारक है, बुध अगर कुंडली में शुभ है तो त्वचा अच्छी रहती है और अगर बुध अशुभ है तो त्वचा संबंधी खराबी देखने

जन्म कुंड़ली के बारह भावों में से बारहवां भाव व्यय भाव कहलाता हैं, सामान्यतया इस भाव को अशुभ माना जाता है। इससे ज्योतिष में फिजूलखर्च, हानि, व्यय, दिवाला, मुकदमेबाजी, व्यसन, नेत्रपीड़ा, आकस्मिक खर्चे, मोक्ष एवं मृत्यु पष्चात् प्राणी की गति, भोग-विलास, शयनसुख का विचार किया जाता हैं । सूर्य- सूर्य के व्ययभाव में रहने पर

इस पृथ्वी लोक पर रहने वाले हर व्यक्ति के जीवन का आधार उसकी कुंडली में उपस्थित ग्रहों के आधारपर तय होता हैं। ग्रहों का सीधा सम्बन्ध हमारे जीवन में हो रही हर एक हरकत से हैं। आज हम मंगल ग्रह के गोचर के बारे में बात कर रहे हैं, ज्योतिषशास्त्र में मंगल को साहस का

29 सितंबर 2020 से शनि की चाल सीधी हो गई है। विभिन्न राशि के जातकों पर शनि का प्रभाव देखने को मिल सकता है। मेष – कामकाजी जीवन में तेजी की उम्मीद इस समय कर सकते हैं। भाग्य का भी आपको पूरा साथ मिलेगा। दरअसल कर्मफलदाता शनि आपकी राशि से भाग्य स्थान में वक्री से

यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह उच्च का है अथवा सही जगह पर है तो उस ग्रह के कारक वस्तुओं को दान अथवा उपहार में नहीं देना चाहिए। दूसरी ओर इन ग्रहों  से संबंधित वस्तुओं का उपहार लेना शुभ माना जाता है। कुंडली में ग्रह यदि निम्न का है अथवा गलत स्थान पर है तो

ज्योतिष और लालकिताब के अनुसार कुंडली के बारह भावों को क्या कहते हैं और इन भावों से क्या क्या देखा जाता है। जानिए संक्षिप्त में। 1. प्रथम भाव को लग्न स्थान कहते हैं जिससे व्यक्तित्व, रूप, रंग, आत्म विश्‍वास, अभिमान, यश-अपयश, सुख-दुख देखा जाता है। परंतु लाल किताब के अंतर्गत मनुष्य का चरित्र, खुद की

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अधिक मास की एकादशी पर जरुरी है यह दान :- •    घी : सुख एवं सम्पन्नता के लिए•    कपूर : घर में शांति के लिए•    केसर : नकारात्मकता को दूर करने के लिए•    कच्चे चने : व्यापार या नौकरी में उन्नति के लिए•    गुड़ : धन आगमन के लिए•    तुवर दाल : वैवाहिक अड़चने दूर करने के लिए•    माल पुआ : निर्धनता के निवारण