सोई हुई किस्मत जगाने का समय – अधिक मास की एकादशी पर कराएं 10 महादान

donation for ekadashi - सोई हुई किस्मत जगाने का समय – अधिक मास की एकादशी पर कराएं 10 महादान

अधिक मास की एकादशी पर जरुरी है यह दान :- 
•    घी : सुख एवं सम्पन्नता के लिए
•    कपूर : घर में शांति के लिए
•    केसर : नकारात्मकता को दूर करने के लिए
•    कच्चे चने : व्यापार या नौकरी में उन्नति के लिए
•    गुड़ : धन आगमन के लिए
•    तुवर दाल : वैवाहिक अड़चने दूर करने के लिए
•    माल पुआ : निर्धनता के निवारण के लिए
•    खीर : ग्रहों के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए
•    दही : शारीरिक परेशानियों को दूर करने के लिए
•    चावल : कार्य बाधाओं को दूर करने के लिए

अधिक मास बहुत ही पवित्र माह माना जाता है। इस वर्ष यह 18 सितंबर से प्रारम्भ होकर अगले माह 16 अक्टूबर तक रहेंगे। इस वर्ष अधिक मास के दौरान 160 वर्षों बाद एक ख़ास योग का निर्माण हुआ है जो अब 2039 में निर्माण होगा। अधिक मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि इस माह के अधिपति भगवान विष्णु है। अधिक मास के दौरान पूजा पाठ और दान करना बहुत अच्छा माना जाता है। इससे 10 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन दान करना बहुत पुण्य का काम है। कहा जाता है की जो कोई भी अधिक मास की एकादशी पर कुछ विशेष वस्तुओं का दान करता है , उसकी परेशानियां स्वयं भगवान विष्णु दूर करते है। उसकी हर इच्छा पूर्ण होती है साथ ही उसका घर अन्न एवं धन से सदैव भरा रहता है।

दान के शुभ फल :

  • निर्धनता का निवारण होता है।
  • गंभीर रोग एवं बीमारियां ठीक हो जाती है।
  • ऋण एवं कर्जों से छुटकारा मिलता है।
  • समस्याओं का समाधान एवं अद्भुत फल की प्राप्ति होती है।
  • धन – धान्य की कोई कमी नहीं रहती।

ऑनलाइन अधिक मास पूजा के लाभ

इस वर्ष, अधिक मास 18.9.2020 से 16.10 2020 तक रहेगा। अधिक मास प्रत्येक 32.5 महीनों में एक चंद्र वर्ष का तेरहवाँ महीना होता है। अधिक मास को मल मास या पुरुषोत्तम मास या मालिम्माच के नाम से भी जाना जाता है। मल मास व्रत लोगों के सभी पापों को दूर करने में सक्षम है। चंद्र वर्ष में 12 महीने होते हैं और सौर कैलेंडर के दिनों और मौसमों के साथ इसका मिलान करने के लिए ऋषियों और मुनियों द्वारा गणना की जाती है। हिंदू विद्या के अनुसार 12 महीनों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व एक भगवान द्वारा किया गया था।

परन्तु अधिक मास को किसी ने नहीं चुना। अधिक मास ने भगवान विष्णु के सामने अपनी दुर्दशा प्रस्तुत की और शरण मांगी। भगवान विष्णु ने दया की और स्वयं को अधिक मास को देव मानकर इसे पुरुषोत्तम मास का नाम दिया। भगवान विष्णु ने यह भी कहा कि अन्य महीनों के दौरान अच्छे कर्म, जप, तपस्या आदि के माध्यम से योग्यता प्राप्त करना इस एक महीने के भीतर किए गए जप, तपस्या आदि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। तब से इस महीने ने अन्य महीनों की तुलना में अधिक महत्व प्राप्त किया है।

इस अवधि के दौरान लोग कई धार्मिक अनुष्ठानों को करते हैं जैसे कि व्रत का पालन करना, धार्मिक शास्त्रों का पाठ करना, मंत्र जप, प्रार्थना करना, कई तरह के पूजा-पाठ और हवन करना। अलग-अलग समय (पूरे दिन, आधे दिन, साप्ताहिक, पखवाड़े, पूरे महीने आदि) के व्रत एक व्यक्ति की सहिष्णुता क्षमता के अनुसार किए जाते हैं। यह व्रत कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे तरल पदार्थों से पूर्ण उपवास या बिना तरल पदार्थ, केवल फलों के साथ उपवास करना या एक समय के शाकाहारी भोजन के साथ उपवास करना। एक पवित्र पाठ की कथ श्रृंखला को धारण करके व्यक्ति इस पवित्र महीने का पालन करते हैं। यह अनुष्ठान इस जीवन और पिछले जीवन के दौरान जमा हुए सभी पापों को दूर कर देते हैं।

अधिक मास में संपन्न किए जाने वाले अनुष्ठान यदि किसी विशेष लक्ष्मी नारायण मंदिर में हो तो इसका बहुत अधिक फल प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। और यदि आप किसी कारणवश यह पूजा मंदिर में संपन्न नहीं करवा सकतें तो आप ऑनलाइन अधिक मास पूजा भी संपन्न करवा सकतें है। ऑनलाइन पूजा के माध्यम से बिना की किसी परेशानी के पूजा संपन्न हो जाएगी और इसका पूर्ण फल भी प्राप्त होगा।

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